नील्स बोर सिर्फ एक महान वैज्ञानिक ही नहीं बल्कि अपने समय के महान सिद्धान्तकार और दार्शनिक भी थे। एक बार उन्होंने बताया कि अपने विद्यार्थी जीवन में वे दर्शन पर कुछ लिखने को लालायित थे। क्वाण्टम भौतिकी की एक किताब से यह उद्धरण प्रस्तुत कर रहा हूं :
वास्तव में वे (नील्स बोर) स्वतंत्र इच्छा की समस्या का गणितीय समाधान खोज रहे थे। यदि प्रकृति में सब कुछ पूर्वनिश्चित है और मनुष्य अपनी इच्छा को क्रियान्वित करने के लिए स्वतन्त्र नहीं है तो कोई भी नैतिक मानदण्ड अर्थहीन हैं; चूंकि मनुष्य अपने व्यवहार में स्वतन्त्र नहीं है तो विवेक और नैतिकता की बात करना निराधार है। लेकिन यदि स्वतन्त्र इच्छा है तो शास्त्रीय नियतिवाद के साथ कोई कैसे इसका सामंजस्य कर सकता है, जिसके अनुसार प्रकृति में हर चीज विशुद्ध आवश्यकता द्वारा नियन्त्रित होती है।
उनकी जीवनी के सिर्फ इस तथ्य से हम शास्त्रीय नियतिवाद, यानी ब्रह्मांड में घटनाओं की पूर्वनिर्धारकता की अवधारणा के विध्वंस में उनकी भूमिका का अनुमान लगा सकते हैं।
(क्वाण्टम जगत की संभाव्यताएं - दानियल दानिन)