वस्तुगत यथार्थ की तर्कपूर्ण अभिव्यक्ति का एक प्रयास.....क्योंकि यदि रूप ही अन्तर्वस्तु का द्योतक होता तो विज्ञान की ज़रूरत ही नहीं होती!
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