Sunday, March 23, 2008

जीवन का उद्देश्‍य

जीवन का उद्देश्‍य मन को नियंत्रित करना नहीं बल्कि उसका सुसंगत विकास करना है, मरने के बाद मोक्ष प्राप्‍त करना नहीं, बल्कि इस संसार में ही उसका सर्वोत्‍तम इस्‍तेमाल करना है, केवल ध्‍यान में ही नहीं, बल्‍ि‍क दैनिक जीवन के यथार्थ अनुभव में भी सत्‍य, शिव और सुन्‍दर का साक्षात्‍कार करना है, सामाजिक प्रगति कुछेक की उन्‍नति पर नहीं, बल्कि बहुतों की समृद्धि पर निर्भर करती है, और आत्मिक जनतंत्र या सार्वभौमिक भ्रातृत्‍व केवल तभी प्राप्‍त किया जा सकता है, जब सामाजिक-राज‍नीतिक और आद्योगिक जीवन में अवसर की समानता हो।
- शहीदे आज़म भग‍तसिंह की जेल नोटबुक से

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