गत 28 नवंबर को सर्वहारा वर्ग के महान शिक्षक और सर्वहारा वर्ग को उसकी मुक्ति के सिद्धान्त से लैस करने वाले तथा आधुनिक वैज्ञानिक समाज का विज्ञान विकसित करने में योगदान देने वाले महा मनीषी फ्रेंडरिक एंगेल्स का जन्मदिन था।
एंगेल्स का जन्म 28 नवंबर 1820 को प्रशा के राइन प्रांत के बारमेन नामक स्थान पर हुआ था। उनके पिता कारखोनेदार थे और घरवाले उन्हें भी इसी पेशे में धकेलना चाहते थे लेकिन एंगेल्स की रूचि विज्ञान और राजनिति शास्त्र के अध्ययन में थी। छोटी उम्र में ही वे हेगेल के क्रान्तिकारी विचार से प्रभावित थे कि ब्रह्मांड लगातार परिवर्तन और विकास की सतत प्रक्रिया से गुजर रहा है। एंगेल्स को उस समय की नौकरशाही की निरंकुशता से नफरत थी और वे जर्मनी के तरुण वामपंथी हेगेलवादियों के संपर्क में आए जो उस व्यवस्था को बदलना चाहते थे। प्रश्न यह था कि यदि हर चीज बदलती है तो निरंकुश राज्यव्यवस्था जो महज कुछेक लोगों को सुख सुविधाएं प्रदान करती है जबकि जनता की भारी आबादी को नरक जैसे हालात में जीने को मजबूर करती है उसे भी बदलना चाहिए।
लेकिन अभी एंगेल्स समाजवादी नहीं बने थे। 1844 में उनकी मुलाकात कार्ल मार्क्स से हुई और उसके बाद उनकी मित्रता अटूट बनी रही। यह विचारों पर आधारित एक उन्नत धरातल की मित्रता थी। मार्क्स और एंगेल्स ने सबसे पहले यह दिखलाया कि मेहनतकश वर्ग और उसकी मांगें वर्तमान आर्थिक व्यवस्था का अनिवार्य परिणाम हैं। उन्होंने पहली बार इस सिद्धान्त का निरूपण किया कि समाजवाद कोई कल्पना नहीं बल्कि एक सुसंगत विज्ञान है और प्रकृति के सभी नियम इसकी पुष्टि करते हैं। और मानव समाज को विनाश से बचाना कुछेक सह्रदय व्यक्तियों के बस का काम नहीं है बल्कि मेहनतकश वर्ग का संगठित संघर्ष ही मानवता को समस्त कष्टों से मुक्त कर सकता है। मानवजाति का अबतक का लिखित इतिहास वर्ग संघर्षों का इतिहास है जिसमें एक वर्ग बल के द्वारा दूसरे पर अपना प्रभुत्व कायम करता है और ऐसा तबतक चलता रहेगा जब तक कि वर्ग संघर्ष और वर्ग सत्ता का बुनियादी कारण यानि निजी संपत्ति की व्यवस्था बनी रहेगी। वर्ग संघर्ष ही मानव समाज को आगे बढ़ाने की कुंजी है।
1848 में सिर्फ 28 वर्ष की आयु में मार्क्स के साथ मिलकर एंगेल्स ने सर्वहारा वर्ग की पार्टी, कम्युनिस्ट पार्टी का घोषणापत्र तैयार किया और इस सिद्धान्त का प्रतिपादन किया कि वर्ग समाज से वर्ग विहीन (कम्युनिस्ट) समाज में प्रवेश करने से पहले मानवता को एक लंबे संक्रमण के दौर से गुजरना होगा जिसमें मेहनत करने वाली बहुलांश आबादी का मेहनत की लूट करने वाली शोषक आबादी पर तानाशाही होगी। तब से लेकर आजतक यह पुस्तक सर्वहारा वर्ग की सबसे अच्छी दोस्त और मार्गदर्शिका बनी रही है। दुनिया की समस्त भाषाओं में इसका अनुवाद हुआ है और यह दुनिया की सबसे अधिक बिकने वाली पुस्तकों में से एक है।
एंगेल्स की तीक्ष्ण मेधा और उनकी विदग्धता ने अपने समय के सभी बुद्धिजीवियों को प्रभावित किया। विज्ञान और दर्शन के अतिरिक्त साहित्य और कला के क्षेत्र में भी उन्होंने अमूल्य योगदान किया। अपने पूरे जीवनकाल में (मृत्यु 5 अगस्त 1895) वे न सिर्फ लिखते पढ़ते ही रहे बल्कि सर्वहारा के संघर्षों में भी लगातार भागीदारी करते रहे और सर्वहारा क्रान्ति के विज्ञान को पथभ्रष्ट करने वाले बुद्धिजीवियों के खिलाफ अंतहीन संघर्ष करते रहे। मार्क्स की मृत्यु के बाद वे आधुनिक सर्वहारा वर्ग के सबसे विद्वान शिक्षक और नेता थे। लेकिन उन्होंने हमेशा अपने आप को मार्क्स का सहायक ही माना हालांकि मार्क्स की अनेक रचनाएं एंगेल्स के प्रत्यक्ष या परोक्ष योगदान के बिना पूरी नहीं हो पातीं।
मार्क्स और एंगेल्स की सबसे उन्नत दर्जे की वैचारिक मित्रता की याद में पूरे विश्व का सर्वहारा वर्ग 28 नवंबर को मित्रता दिवस के रूप में मनाता है। (शोषक वर्ग के नुमाइंदे इसे किसी और दिन मनाते हैं)सर्वहारा वर्ग को क्रान्ति के विज्ञान से लैस करने और जीवनपर्यन्त उसका मार्गदर्शन करने के लिए पूरी दुनिया का मेहनतकश समुदाय और उसके समर्थक फ्रेडरिक एंगेल्स को दिल से याद करते हैं और उनके प्रति सम्मान व्यक्त करते हैं।
दुनिया के मजदूरो एक हो ।
सर्वहारा के पास खोने के लिए सिर्फ अपनी बेड़ियां हैं जीतने के लिए पूरी दुनिया है ।
1 comment:
एंगेल्स और मार्क्स की दोस्ती सामान उद्देश्य से संचालित दो मनुष्यों के बीच विकसित सर्वोच्च मानवीय रिश्ते की मिसाल है...
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